शिमला : स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) हिमाचल प्रदेश राज्य समिति ने आजादी की 77वीं वर्षगांठ मानते हुए 723 छात्रों के साथ तिरंगा यात्रा निकाली व समरहील में पौधारोपण किया ।
आज पूरा भारत देश अपनी आजादी की 77वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है । यह सभी देशवासियों के लिए विशेष अवसर है ।15 अगस्त 1947 को देश 200 वर्षों से भी अधिक की गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ ।
आजाद हुआ इतने वर्षों से हो रहे मजदूरों के शोषण से , अत्याचार से, गुलामी से , तानाशाही से , बदहाली से , कुरीतियों से , इन सपनो के साथ के अब आजाद भारत में सुकून और सुख का जीवन होगा , खुशहाली होगी कोई शोषण नहीं होगा ,भेदभाव नही होगा , गुलामी नहीं होगी , भेदभाव नही होगा असमानता नहीं होगी । भूखमरी नहीं होगी बेरोजगारी नहीं होगी एकता समानता और भाईचारे की जिंदगी होगी ।
हमें आजादी तो मिल गई लेकिन वह आजादी आज किस रूप में है । हमारे पूर्वजों ,स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों ने आजाद भारत का जो सपना देखा था उनकी नजरों में आजादी के जो मायने थे क्या उनके अनुरूप हम आगे बढ़ पाए हैं ।
आगामी समय में देश के सामने चुनौतियां क्या है क्या इन 70 सालों में वाकई में हम उस मुकाम पर पहुंच पाए हैं जहां पर आज विकसित राष्ट्र की संज्ञा दी जाती है ?
क्या आज भी हम उसे स्थिति में खड़े हैं जबकि भारत युवा हो रहा है । आने वाले समय में हम उन चुनौतियों का किस तरीके से सामना कर पाएंगे ।आजादी के पश्चात यद्यपि भारत ने बहुत सी उपलब्धियों को हासिल किया है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता । लेकिन उपलब्धियों के गुणगान के साथ हम यह विचार करना भूल चुके हैं कि जिन मूलभूत सुविधाओं को मुहैया करवाने की जिम्मेदारी सरकार की थी क्या वह मूलभूत सुविधाएं हर एक नागरिक तक पहुंची है या नहीं ।
हम इस बात को कतई अनदेखा नहीं कर सकते कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2023 में भारत 125 देश में से 111वां स्थान पर था। यह भारत में भुखमरी के गंभीर स्तर को दर्शाता है ।
इसके अतिरिक्त बच्चों में बौनापन 35.5% प्रचलित है और भारत में अल्प पोषण की व्यापकता 16.6% है ।
यदि भुखमरी के जिम्मेदार कारकों की चर्चा करें तो सबसे प्रमुख कारण है गरीबी । गरीबी के कारण अपर्याप्त भोजन आवश्यक पोषण तथा स्वास्थ्य सेवाएं वहन करने में समस्या उत्पन्न होती है गरीबी होने का अर्थ है की जनता के पास रोजगार नहीं है ।जबकि रोजगार उपलब्ध करवाने या रोजगार का अवसर प्रदान करने की जिम्मेदारी सरकार की है । तो इस विषय में भी चर्चा करने की आवश्यकता है कि सरकार कितना रोजगार युवाओं को देने में सफल रही है या नहीं।
यदि बढ़ती बेरोजगारी पर दृष्टि डाले तो पिछले तीन वर्षों की आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में बेरोजगारी की दर 4.2 प्रतिशत थी जबकि 2022 में 3.6% यह सब आंकड़े यह तो दर्शाते हैं कि देश की क्या स्थिति है लेकिन हम महज़ इन आंकड़ों में उलझकर रह जाते हैं लेकिन असल में कितनी बुनियादी सुविधाएं सरकार दे पाई है इस विषय पर चर्चा करने की आवश्यकता है ।
यदि सरकार यह सुविधा प्रदान करती भी है तो कितने लोग इनका लाभ उठा पाते हैं भारत देश में युवा पीढ़ी की जनसंख्या ज्यादा है तथा बेरोजगार भी युवा हैं । जिस देश में युवा बेरोजगार रहेंगे उसे देश का आर्थिक विकास होना असंभव है। हम आज आजादी का अमृत महोत्सव तो मना रहे हैं लेकिन हमें साथ ही साथ इन सब मुद्दों पर विचार करने की भी आवश्यकता है क्योंकि यह मुद्दे सबसे बुनियादी मुद्दे हैं । जिस पर विचार करने की आवश्यकता सबसे ज्यादा आज की पीढ़ी को है क्योंकि आज की पीढ़ी पढ़ी लिखी है और अपने अधिकारों के लिए जागरूक भी है ।
आजादी के बाद का वह दौर भी था जब जनता इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन उसमें भी देश ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधरा था और देश की आर्थिक स्थिति को सही पटल पर लाया था ।लेकिन आज के समय में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो पढ़ा लिखा ना हो और अपने अधिकारों के लिए जागरूक न हो इसीलिए हमें इन सब मुद्दों पर विचार विमर्श करने की आवश्यकता है एक देश को विकसित बनाने के लिए उसे आर्थिक तौर पर विकसित होने के साथ-साथ सामाजिक राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर विकसित होने की आवश्यकता है। और आज भी इन सब कुरीतियों और हो रहे अन्याय, शोषण , तानाशाही के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है जिसके खिलाफ उस वक्त हजारों क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी शहादते दी थी और देश को आजाद कराने में अहम योगदान दिया था। उन सब के सपने आज भी अधूरे हैं तो हम सबकी यह जिम्मेवारी बन जाती है कि खुशहाल भारत के लिए हम भी एकजुट हो और अपना भरपूर योगदान दे।